मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23) Aur padhna मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23) ke bare men बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहाज़बूर 23 अल्लाह ताअला मेरा चरवाहा[a] है, इसलिए मेरे पास हर वो चीज़ है जिसकी मुझे ज़रूरत है।(1)
मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23) Aur padhna मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23) ke bare men बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहाज़बूर 23 अल्लाह ताअला मेरा चरवाहा[a] है, इसलिए मेरे पास हर वो चीज़ है जिसकी मुझे ज़रूरत है।(1)
बेहतरीन ज़िंदगी का नुस्ख़ा (ज़बूर 34) Aur padhna बेहतरीन ज़िंदगी का नुस्ख़ा (ज़बूर 34) ke bare men बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम बेहतरीन ज़िंदगी का नुस्ख़ा ज़बूर 34 मैं हमेशा अल्लाह ताअला का शुक्रगुज़ार रहूँगा; मैं कभी भी उसकी हम्द-ओ-सना करना बंद नहीं करूँगा।(1)
अल्लाह की मदद के लिए शुक्रगुज़ारी (ज़बूर 138) Aur padhna अल्लाह की मदद के लिए शुक्रगुज़ारी (ज़बूर 138) ke bare men बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम अल्लाह की मदद के लिए शुक्रगुज़ारीज़बूर 138 या अल्लाह रब्बुल करीम, मैं पूरे दिल से तेरा शुक्रिया अदा करता हूँ; मैं इन झूटे ख़ुदाओं के सामने तेरी अज़मत के क़सीदे पढूँगा।(1)
हिकमत की कहावतें (ज़बूर : कहावतें 3:5-8; 1:7; 29:25; 12:15; 15:32; 18:10; 21:3; 4:23) Aur padhna हिकमत की कहावतें (ज़बूर : कहावतें 3:5-8; 1:7; 29:25; 12:15; 15:32; 18:10; 21:3; 4:23) ke bare men बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम हिकमत की कहावतेंज़बूर : कहावतें 3:5-8; 1:7; 29:25; 12:15; 15:32; 18:10; 21:3; 4:23
मेरे रब मुझे बदनामी से बचा (ज़बूर 25) Aur padhna मेरे रब मुझे बदनामी से बचा (ज़बूर 25) ke bare men बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम मेरे रब मुझे बदनामी से बचा ज़बूर 25 या अल्लाह, मैं अपने आपको तेरे हवाले करता हूँ।(1)
अल्लाह ताअला की पनाह (ज़बूर 91) Aur padhna अल्लाह ताअला की पनाह (ज़बूर 91) ke bare men बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम अल्लाह ताअला की पनाहज़बूर 91जो लोग अल्लाह रब्बुल अज़ीम की हिफ़ाज़त में रहते हैं, तो वो लोग उसकी सल्तनत में सुकून से हैं।(1) मैं अल्लाह से कहूँगा, “तू मेरी सलामती और पनाह की जगह है।
सच्ची ख़ुशी (ज़बूर 1) Aur padhna सच्ची ख़ुशी (ज़बूर 1) ke bare men बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम सच्ची ख़ुशीज़बूर 1वो लोग ख़ुश हैं जो गुनाहगार लोगों की सलाह को ठुकरा देते हैं, जो गुनाहगारों की राह पर नहीं चलते, या उन लोगों को नहीं अपनाते जो अल्लाह ताअला को नहीं मानते।(1)