लुक़ास

किसकी दुआ क़ुबूल हुई (इंजील : लुक़ास 18:9-17)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

किसकी दुआ क़ुबूल हुई

इंजील : लुक़ास 18:9-17

ईसा(अ.स) ने ये वाक़या उन लोगों को सुनाया जो अपनी बड़ाई करते थे और दूसरों को नीचा समझते थे:(9)

कभी ना ख़त्म होने वाली ज़िंदगी (इंजील : लुक़ास 18:18-27)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

कभी ना ख़त्म होने वाली ज़िंदगी

इंजील : लुक़ास 18:18-27

एक इब्रानी रहनुमा ने ईसा(अ.स) से पूछा, “मेरे अच्छे उस्ताद, मैं ऐसा क्या करूँ कि मुझे कभी ना ख़त्म होने वाले ज़िंदगी हासिल हो?”(18)

हमारा पड़ोसी कौन है? (इंजील : लुक़ास 10:25-37)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

हमारा पड़ोसी कौन है?

इंजील : लुक़ास 10:25-37

एक दिन, क़ानून पढ़ाने वाले एक उस्ताद ने ईसा(अ.स) को आज़माने के लिए उनसे पूछा, “मैं ऐसा क्या करूँ कि मुझे कभी ना ख़त्म होने वाली ज़िंदगी मिले?”(25)

सब छोड़ा तो क्या मिला? (इंजील : लुक़ास 18:28-34)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

सब छोड़ा तो क्या मिला?

इंजील : लुक़ास 18:28-34

ईसा(अ.स) के शागिर्द, जिनका नाम जनाब पतरस था, उनसे बोले, “देखिये, हम अपना सब कुछ पीछे छोड़ कर आपके साथ आ गए हैं!”(28)

अल्लाह ताअला की बादशाहत (इंजील : लुक़ास 17:20-36)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

अल्लाह ताअला की बादशाहत

इंजील : लुक़ास 17:20-36

कुछ फ़रीसी लोगों ने (वो यहूदी लोग जो मूसा(अ.स) के क़ानून पर सख़्ती से अमल करते थे।) ईसा(अ.स) से पूछा, “अल्लाह ताअला की बादशाहत कब आएगी?”

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