बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम
बेहतरीन ज़िंदगी का नुस्ख़ा
ज़बूर 34
मैं हमेशा अल्लाह ताअला का शुक्रगुज़ार रहूँगा;
मैं उसकी नेमतों का शुक्रिया अदा करता हूँ;
दुआ करता हूँ कि जो ज़ुल्म के शिकार हैं इसको सुन कर ख़ुश हो जाएं!(2)
आओ मेरे साथ अल्लाह ताअला की अज़मत का ऐलान करें;
मैंने अल्लाह ताअला की इबादत करी और उसने मेरी दुआओं को सुना;
मुसीबत के सताए हुए उस से ही मदद माँगें और ख़ुश हो जाएंगे;
लाचार उसे ही पुकारते हैं और वो उनकी पुकार को सुन लेता है;
उसके फ़रिश्ते उन लोगों की हिफ़ाज़त करते हैं जो उसकी इज़्ज़त करते हैं;
तुम ख़ुद ही बताओ कि अल्लाह ताअला कितना अच्छा है।
ए अल्लाह के बन्दों, उस रब की इज़्ज़त करो।
उसका कहना मानने वालों की हर ज़रुरत पूरी होती है;(9)
यहाँ तक कि शेर भी खाने की कमी से भूखा हो जाता है,
लेकिन जो भी अल्लाह ताअला पर ईमान रखता है उसको कभी नेमतों की कमी नहीं होती।(10)
ए मेरे नौजवान दोस्तों, यहाँ आओ, मेरी बात सुनो,
और मैं तुमको सिखाऊँगा कि अल्लाह ताअला की इज़्ज़त कैसे करनी चाहिए।(11)
क्या तुम एक बेहतरीन ज़िंदगी जीना चाहते हो?
क्या तुमको लम्बी उम्र और ख़ुशियाँ चाहिए?(12)
तो फिर ग़लत बोलने से परहेज़ करो,
बुराई से मुँह मोड़ लो और नेक काम करो;
अल्लाह ताअला नेक लोगों की देखभाल करता है
और उनकी पुकार को सुनता है;(15)
लेकिन अल्लाह ताअला ग़लत काम करने वालों के ख़िलाफ़ हो जाता है,
अल्लाह ताअला नेक लोगों की पुकार को सुनता है;
अल्लाह ताअला उनके क़रीब है जिनके हौसले पस्त हो चुके हैं;
अच्छे लोग बहुत परेशानियों का सामना करते हैं;
अल्लाह ताअला उनकी पूरी तरह से हिफ़ाज़त करता है;
बुराई बेईमान लोगों को ख़त्म कर देगी;
अल्लाह ताअला अपने लोगों को बचा लेगा;