क्या तुम्हारा रोज़ा क़ुबूल हुआ? (तौरैत : यशायाह 58:1-14)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

क्या तुम्हारा रोज़ा क़ुबूल हुआ?

तौरैत : यशायाह 58:1-14

[अल्लाह रब्बुल आलमीन का इरशाद है:]

बुलंद आवाज़ में फ़रियाद करो, जिस तरह से बिगुल से आवाज़ निकलती है।

जितना तेज़ हो सके उतना ज़ोर से फ़रियाद करो।

ख़्वाबों की ताबीर (तौरैत : ख़िल्क़त 40:1-23, 41:9, 12-27, 33-40, 46-47, 49, 55-57)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

ख़्वाबों की ताबीर

तौरैत : ख़िल्क़त 40:1-23, 41:9, 12-27, 33-40, 46-47, 49, 55-57

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