क्या तुम्हारा रोज़ा क़ुबूल हुआ? (तौरैत : यशायाह 58:1-14)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

क्या तुम्हारा रोज़ा क़ुबूल हुआ?

तौरैत : यशायाह 58:1-14

[अल्लाह रब्बुल आलमीन का इरशाद है:]

बुलंद आवाज़ में फ़रियाद करो, जिस तरह से बिगुल से आवाज़ निकलती है।

जितना तेज़ हो सके उतना ज़ोर से फ़रियाद करो।

Sabskrayib