गुनाहों की माफ़ी के लिए क़ुर्बानी (तौरैत : आलिम-ए-दीन का क़ानून 5:17-19)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

गुनाहों की माफ़ी के लिए क़ुर्बानी

तौरैत : आलिम-ए-दीन का क़ानून 5:17-19

अगर कोई वो काम करता है जो अल्लाह ताअला के हुक्म के ख़िलाफ़ है चाहे उससे वो गुनाह अनजाने में ही हो गया हो, फिर भी उस को गुनाहगार समझा जाएगा और वो उसका ज़िम्मेदार होगा।(17) उनको अपने गुनाहों की माफ़ी के लिए अपने जानवरों में से क़ुर्बानी के लिए एक बकरा मज़हबी रहनुमा को देना होगा।[a] ये बकरा सही क़ीमत का हो और इसमें कोई ऐब भी नहीं होना चाहिए।(18) इस तरह से मज़हबी रहनुमा इनके उस गुनाह का कफ़्फ़ारा देंगे जो उन्होंने अनजाने में अल्लाह ताअला के ख़िलाफ़ किया है।(19)