मैं किसका चरवाहा हूँ? (इंजील : यूहन्ना 10:9-10, 14-18, 24-30)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

मैं किसका चरवाहा हूँ?

इंजील : यूहन्ना 10:9-10, 14-18, 24-30

[ईसा(अ.स) ने फ़रमाया] “मैं ही वो दरवाज़ा हूँ कि जिसमें से दाख़िल होने वाले को बचा लिया जाएगा और इस से होकर गुज़रने वालों को नेमतें मिलेंगी।(9) एक चोर[a] सिर्फ़ चोरी करने, क़त्ल करने, और चीज़ों को बर्बाद करने ही आता है। मैं आया हूँ ताकि लोग एक भरपूर ज़िंदगी हासिल कर सकें।(10)

10:14-18

“मैं एक अच्छा चरवाहा हूँ। मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं,(14) जिस तरह से मैं अपने रब को जानता हूँ, और मेरा रब मुझे जानता है। मैं अपनी ज़िंदगी को अपनी भेड़ों के लिए क़ुर्बान कर रहा हूँ।(15) मेरे पास कुछ और भी भेड़ें हैं, जो इस बाड़े से नहीं हैं। मुझे उनको भी यहाँ लाना चाहिए। वो भी मेरी आवाज़ को सुनेंगी और फिर उसके बाद सिर्फ़ एक ही झुंड और एक ही चरवाहा होगा।(16) मेरा परवरदिगार मुझसे इसलिए मोहब्बत करता है, क्यूँकि मैं अपनी ज़िंदगी को फिर से हासिल करने के लिए क़ुर्बान करूँगा।(17) कोई भी मेरी ज़िंदगी को मुझसे नहीं ले सकता, बल्कि मैं ख़ुद उसे अपनी मर्ज़ी से क़ुर्बान करूँगा। मुझे अल्लाह ताअला ने क़ुदरत बख़्शी है, कि मैं अपनी जान को क़ुर्बान करूँ और उसे दोबारा से हासिल करूँ। ये हुक्म मुझे मेरे रब से मिला है।”(18)

10:24-30

जो इब्रानी लोग उनके आस-पास जमा थे उन्होंने उनसे बोला, “आप हम सबको कब तक उलझन में रखेंगे? अगर आप ही मसीहा हैं, तो हमें साफ़-साफ़ बता दीजिए।”(24) ईसा(अ.स) ने उन्हें जवाब दिया, “मैं तुम्हें बता चुका हूँ, लेकिन तुम यक़ीन ही नहीं करते। जो भी काम मैं अपने रब के नाम से करता हूँ वही मेरी गवाही देता है।(25) तुम लोग इस बात पर यक़ीन नहीं करते, क्यूँकि तुम लोग मेरी भेड़ें नहीं हो।(26) मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ को सुनती हैं। मैं उन्हें जानता हूँ, और वो मेरी बात पर अमल करती हैं।(27) मैं उन्हें कभी न ख़त्म होने वाली ज़िंदगी अता करता हूँ, और वो कभी तबाह नहीं होंगे। कोई भी उन्हें मेरे हाथ से नहीं छीन सकता।(28) मेरे रब ने मुझे ये अज़मत अता करी है, और वही सबसे अज़ीम है। कोई भी उन्हें मेरे रब के हाथों से नहीं छीन सकता।(29) मेरा परवरदिगार मुझसे राज़ी है और हमारा मक़्सद भी एक ही है।”(30)