ज़िंदा की तलाश क़ब्र में (इंजील : मत्ता 28:1-10)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

ज़िंदा की तलाश क़ब्र में

इंजील : मत्ता 28:1-10

सबत के बाद, हफ़्ते का पहला दिन इतवार था। उस दिन सुबह-सवेरे मरयम मग्दलीनी और दूसरी औरत, जिसका नाम भी मरयम था, ईसा(अ.स) की क़ब्रगाह को देखने गईं।(1) जब अल्लाह ताअला का फ़रिश्ता आसमान से ज़मीन पर आया तो ज़मीन हिल गयी। फ़रिश्ते ने क़ब्रगाह का पत्थर हटाया और उसके ऊपर बैठ गया।(2) वो फ़रिश्ता बिजली की तरह चमक रहा था और उसके कपड़े बर्फ़ की तरह सफ़ेद थे।(3) जो रोमी सिपाही क़ब्र की रखवाली कर रहे थे, उनका डर के मारे दम निकलने लगा।(4)

फ़रिश्ते ने उन औरतों से कहा, “डरो मत! मुझे पता है कि तुम ईसा(अ.स) को ढूँढ रही हो, जिनको सूली पर चढ़ा दिया गया था,(5) लेकिन वो यहाँ नहीं हैं। वो ज़िंदा हो चुके हैं, जैसा कि उन्होंने कहा था कि वो ज़िंदा हो जाएंगे। आओ, उस जगह को ख़ुद देख लो जहाँ उन्हें रखा गया था।(6) तुम जल्दी से जा कर उनके शागिर्दों को ये ख़बर सुनाओ, ‘सुनो! ईसा(अ.स) मौत से ज़िंदा हो उठे हैं। वो गलील की तरफ़ जा रहे हैं और तुम लोगों से वहीं मुलाक़ात करेंगे। तुम उन्हें वहीं देख पाओगे।’” फ़रिश्ते ने उनसे कहा कि वो लोग उसकी कही हुई बातों पर ग़ौर करें।(7)

वो औरतें क़ब्रगाह से फ़ौरन वापस आ गईं। उन औरतों को डर के साथ ख़ुशी भी महसूस हो रही थी। वो दौड़ कर शागिर्दों के पास गईं ताकि वो उन्हें पूरी दास्तान सुना सकें कि क़ब्रगाह पर क्या हुआ था।(8)

लेकिन अचानक, ईसा(अ.स) उन सब औरतों के सामने पहुंच गए। उन्होंने सबको सलामती की दुआ दी। वो औरतें उनके क़दमों में गिर पड़ीं।(9) तब ईसा(अ.स) ने उनसे कहा, “डरो नहीं। जाओ और मेरे भाइयों से कहो कि वो गलील चले जाएं।”(10)