| सुलेमान(अ.स) ने अक़्लमंदी को चुना (तौरैत : 1 सलातीन 2:1-4; 3:1b-28) |
| ईसा(अ.स) के बारे में अल्लाह ताअला का पैग़ाम (तौरैत : यशायाह 42:1-9) |
| मेरा नेक ख़ादिम (तौरैत : यशायाह 53:1-12) |
| कलाम की ताक़त (तौरैत : यशायाह 55:1-3, 6-13) |
| क्या तुम्हारा रोज़ा क़ुबूल हुआ? (तौरैत : यशायाह 58:1-14) |
| नेकी का पेड़ (तौरैत : यशायाह 61 ) |
| तुम्हारे लिए क्या तय हुआ? (तौरैत : यरमियाह 29:11-13) |
| नया दिल और नई रूह (तौरैत : हिज़कीएल 36:16-38) |
| सच्ची ख़ुशी (ज़बूर 1) |
| मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23) |
| मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23) |
| मेरे रब मुझे बदनामी से बचा (ज़बूर 25) |
| बेहतरीन ज़िंदगी का नुस्ख़ा (ज़बूर 34) |
| अल्लाह ताअला की पनाह (ज़बूर 91) |
| अल्लाह की मदद के लिए शुक्रगुज़ारी (ज़बूर 138) |
| हिकमत की कहावतें (ज़बूर : कहावतें 3:5-8; 1:7; 29:25; 12:15; 15:32; 18:10; 21:3; 4:23) |
| जनाब यूसुफ़ का ख़्वाब (इंजील : मत्ता 1:18-25) |
| याह्या(अ.स) की तालीम (इंजील : मत्ता 3:1-17) |
| शैतान और उसका लालच (इंजील : मत्ता 4:1-11) |
| ईसा(अ.स) के शागिर्द (इंजील : मत्ता 4:18-24) |
| कौन लोग मुबारक हैं? (इंजील : मत्ता 5:1-16) |
| अल्लाह ताअला की पसन्द (इंजील : मत्ता 5:17-48) |
| ख़ैरात, इबादत, और रोज़ा (इंजील : मत्ता 6:1-18) |
| कल की फ़िक्र मत करो (इंजील : मत्ता 6:19-34) |
| माँगो, तलाश करो, और दस्तक दो (इंजील : मत्ता 7:1-14) |
| सुनो और अमल करो (इंजील : मत्ता 7:15-29) |
| शिफ़ा (इंजील : मत्ता 8:5-17) |
| गुनाहगारों की मदद (इंजील : मत्ता 9:1-13, 35-38) |
| ईसा(अ.स) के बारह शागिर्द (इंजील : मत्ता 10:1-33) |
| अल्लाह रब्बुल अज़ीम की सल्तनत की मिसालें (इंजील : मत्ता 13:24-52) |
| बरकत (इंजील : मत्ता 14:14-33) |
| भाई की साज़िश (इंजील : मत्ता 18:15-35 ) |
| ईसा(अ.स) ने बताया तलाक़ क्या है? (इंजील : मत्ता 19:1-15) |
| अल्लाह ताअला की सल्तनत की मिसाल (इंजील : मत्ता 20:1-34) |
| ईसा(अ.स) इबादतगाह में आए (इंजील : मत्ता 21:12-32) |
| क़यामत की निशानियाँ (इंजील : मत्ता 24:1-51) |
| इन्साफ़ का दिन (इंजील : मत्ता 25:31-46) |
| ईसा(अ.स) की आख़िरी दावत (इंजील : मत्ता 26:20-46) |
| ज़िंदा की तलाश क़ब्र में (इंजील : मत्ता 28:1-10) |
| बीज बोने वाले की मिसाल (इंजील : मुहाफ़िज़ 4:2-20) |