अल्लाह की मदद के लिए शुक्रगुज़ारी (ज़बूर 138)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

अल्लाह की मदद के लिए शुक्रगुज़ारी

ज़बूर 138

या अल्लाह रब्बुल करीम, मैं पूरे दिल से तेरा शुक्रिया अदा करता हूँ;

मैं इन झूटे ख़ुदाओं के सामने तेरी अज़मत के क़सीदे पढूँगा।(1)

मैं तेरे पाक मुक़ामों की तरफ़ ताज़ीम में झुकता हूँ।

तूने अपना नाम अज़ीम करा है,

और अपने कलाम को हर चीज़ से ज़्यादा इज़्ज़त बख़्शी है।(2)

जिस वक़्त भी मैंने तुझे पुकारा, तूने जवाब दिया।

तूने मुझे हिम्मत दी और मेरी रूह को मज़बूत कर दिया।(3)

ए मेरे रब, ज़मीन के सारे बादशाह तेरा शुक्रिया अदा करेंगे,

जब उनको पता चलेगा कि तूने जो कहा था वो पूरा हो गया है।(4)

हाँ! वो सब तेरे कमाल को देख कर नग़में गाएंगे।

क्यूँकि, ए मेरे रब, तू अज़ीम है।(5)

ए अल्लाह! तू सबसे ज़्यादा अज़ीम है।

तू नर्म दिल वाले लोगों का ख़्याल रखता है,

और मग़रूर लोगों से बहुत दूर रहता है।(6)

जब मैं परेशानियों से घिरा होऊँगा,

तो, ए मेरे रब, तू मेरी मदद करेगा।

जब मेरे दुश्मन मुझसे नफ़रत करेंगे,

तो तू ही मुझे बढ़ कर अपनी ताक़त से बचा लेगा।(7)

ए मेरे रब! तू हर उस नेमत को मेरे पास लाएगा जो तूने मेरे लिए तय करी है।

और, ए मेरे परवरदिगार, तेरी ये मोहब्बत हमेशा क़ायम रहेगी।

अपनी बनाई हुई मख़्लूक़ से अपनी नज़र-ए-करम मत हटा।(8)