कलाम की ताक़त (तौरैत : यशायाह 55:1-3, 6-13)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

कलाम की ताक़त

तौरैत : यशायाह 55:1-3, 6-13

आओ, तुम में से जो भी प्यासा है,

पानी के पास आओ;

और जिसके पास पैसे नहीं हैं,

वो लोग आओ और ख़रीद कर खाओ!

आओ, और आ कर अंगूर और दूध ख़रीदो।

बिना पैसा ख़र्च किये हुए।(1)

उस पर पैसा क्यूँ ख़र्च करते हो जो तुम्हारा खाना नहीं है,

और वो मेहनत क्यूँ करते हो कि जिस से तुम्हें सुकून नहीं मिलता?

सुनो, मेरी बात ध्यान से सुनो, और वो खाओ जो अच्छा है,

और तुम्हें लज़्ज़तदार खाने का मज़ा आएगा।(2)

मेरी बातों को बहुत ध्यान से सुनो;

अगर सुनोगे, तो हो सकता है ज़िंदगी को हासिल कर लो।(3)

6-13

अल्लाह रब्बुल अज़ीम को तलाश करो;

उसी को पुकारो, अभी वो तुम्हारे बहुत क़रीब है।(6)

ए गुनाहगार लोगों बुराई के रास्ते से हट जाओ,

और अपनी बुरी सोच को बदलो।

अगर वो अल्लाह ताअला की तरफ़ लौट गए, तो वो उन पर रहम करेगा

और उन्हें खुले दिल से माफ़ कर देगा।(7)

हमारा रब फ़रमाता है कि उसकी सोच हमारी सोच से बेहतर है

और उसका तरीक़ा हमारे तरीक़े से अच्छा है।(8)

“जिस तरह ये आसमान ज़मीन से बुलंद है,

उसी तरह से मेरा तरीक़ा भी तुम्हारे तरीक़े से बुलंद है

और मेरी सोच तुम्हारी सोच से।(9)

“जिस तरह से बारिश और बर्फ़ आसमान से नीचे आती है,

और ज़मीन को बिना भिगोए वापस नहीं जाती।

ताकि उससे ज़मीन पर कलियाँ फूटें और फलें-फूलें,

और बीज निकले, और खाने के लिए अनाज पैदा हो।(10)

इसी तरह से मेरा कलाम,

मेरे पास कभी ख़ाली वापस नहीं आता।

बल्कि वो होता है जो मैं चाहता हूँ,

और वो उस काम को पूरा करता है जिसके लिए मैंने उसे भेजा था।(11)

“तुम ख़ुशी से निकलोगे,

और तुम सलामती से आगे बढ़ोगे।

ये पहाड़ और पहाड़ियाँ तुम्हारे सामने नग़में गाएंगे,

और मैदानों में लगे सब पेड़ तालियाँ बजाएंगे।(12)

कटीली झाड़ियाँ नहीं, बल्कि बड़े पेड़ उगेंगे,

और काँटें नहीं फूल वाले पेड़ निकलेंगे।”

ये सब अल्लाह रब्बुल अज़ीम की शान के लिए होगा,

और कभी न ख़त्म होने वाली निशानी के लिए,

जो हमेशा बाक़ी रहेगी।(13)