इन्साफ़ का दिन (इंजील : मत्ता 25:31-46)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

इन्साफ़ का दिन

इंजील : मत्ता 25:31-46

[ईसा(अ.स) ने इन्साफ़ के दिन के बारे में बताया। उन्होंने कहा,] “आदमी का बेटा पूरे नूर और ताक़त के साथ लौटेगा। वो फ़रिश्तों के साथ वापस आएगा और अपने तख़्त पर बैठेगा।(31)

दुनिया की सारी क़ौमों के लोग उसके सामने हाज़िर होंगे जिनको वो दो जमातों में बाँट देगा। वो उन्हें ऐसे अलग करेगा जैसे चरवाहा अपनी भेड़ों को बकरियों से अलग करता है।(32) वो भेड़ों को अपने दाहिने हाथ की तरफ़ खड़ा करेगा और बकरियों को बाएं हाथ की तरफ़।(33)

“तब बादशाह अपने सीधे हाथ की तरफ़ खड़े लोगों से बोलेगा, ‘आओ, तुम लोग वही हो जिनको परवरदिगार ने बरकत अता करी है। आओ, और उस सल्तनत को क़ुबूल करो जो उसने दुनिया बनाते वक़्त क़ायम करी थी।(34) तुम लोगों ने मुझे उस वक़्त खाना खिलाया कि जब मैं भूखा था। जब मैं प्यासा था तो तुमने मुझे पानी पिलाया। जब मैं एक अजनबी था, तो तुमने मुझे अपने घर पर बुलाया।(35) जब मैं बिना कपड़ों के था, तो तुमने मुझे कपड़े दिए। जब मैं बीमार था तो तुम लोगों ने मेरी देखभाल करी और जब मैं क़ैद में था तो तुम मुझसे मिलने आए।’(36)

“उस वक़्त ईमान वाले लोग सवाल करेंगे, ‘कब हमने आपको भूखा देखा और खाना खिलाया? कब हमने आपको प्यासा देखा और पानी पिलाया?(37) कब हमने आपको अजनबी देखा और आपको अपने घर पर बुलाया? कब हमने आपको बिना कपड़ों के देखा और कपड़े दिए?(38) कब हमने आपको बीमार या क़ैदख़ाने में देखा और आपकी देखभाल करी?’(39)

“तब बादशाह जवाब देगा, ‘मैं तुमको सच बताता हूँ। तुमने जो भी मेरे लोगों के साथ किया, चाहे वो हैसियत में सबसे छोटा ही क्यूँ न था, तो वो सब तुमने मेरे लिए किया।'(40)

“तब वो अपने उल्टे हाथ की तरफ़ खड़े लोगों से कहेगा, ‘मेरे पास से चले जाओ, तुम लोगों पर लानत है। तुम लोग कभी न बुझने वाली आग में जाओ, जिसको अल्लाह ताअला ने शैतान और उसके बन्दों के लिए तैयार करी है।(41) क्यूँकि जब मैं भूखा था, तो तुमने मुझे खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया। जब मैं प्यासा था, तुमने मुझे पीने के लिए कुछ नहीं दिया।(42) जब मैं अजनबी था, तुमने मुझे घर पर नहीं बुलाया। जब मेरे पास कपड़े नहीं थे तो तुमने मुझे कपड़े नहीं दिए। जब मैं बीमार और जेल में था तो तुमने मेरी देखभाल नहीं करी।’(43)

“तब लोग पूछेंगे, ‘मालिक, हमने कब आपको भूखा या प्यासा देखा? हमने कब आपको एक अजनबी देखा, या बिना कपड़ों के या बीमार या क़ैदख़ाने में देखा? हम ने ये सब कब देखा और आपकी मदद नहीं करी?’(44)

“तब वो जवाब देंगे, ‘मैं तुमको एक सच बताता हूँ। हर वो काम जो तुमने मेरे लोगों के साथ नहीं किया, चाहे वो सबसे नीचे तबक़े का ही क्यूँ न हो, तो वो तुमने मेरे लिए भी नहीं किया।’(45)

“तब गुनाहगार लोगों को हमेशा के लिए सज़ा दी जाएगी और नेक लोगों को कभी ना ख़त्म होने वाली ज़िंदगी मिलेगी।”(46)