मूसा(अ.स) ने क़ानून की किताबों को लिख कर पूरा किया (तौरैत : इआदा 31:24-29)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

मूसा(अ.स) ने क़ानून की किताबों को लिख कर पूरा किया

तौरैत : इआदा 31:24-29

मूसा(अ.स) ने अल्लाह के क़ानून की किताब[a] को लिख कर पूरा किया।(24) तब उन्होंने लावी लोगों को बुलाया और हुक्म दिया। [ये लोग लावी ख़ानदान के लोग थे जो अहद के संदूक[b] को संभालते थे।](25) मूसा(अ.स) ने उनसे कहा, “क़ानून की इस किताब को अहद के संदूक के पास रख दो, जो अल्लाह रब्बुल अज़ीम के अहद की निशानी है। ये हमेशा वहीं रहनी चाहिए ताकि तुम लोगों के ख़िलाफ़ गवाही[c] दे सके।(26) मैं जानता हूँ कि तुम लोग कितने ज़िद्दी और बेलगाम हो। तुम लोग मेरे ज़िंदा होते हुए भी अल्लाह ताअला का कहना नहीं मानते, तो मेरे मरने के बाद तुम लोग और भी ज़्यादा मनमानी करने लगोगे।(27)

“तुम लोग अपने ख़ानदान के सारे बूढ़े लोगों को और रहनुमाओं को मेरे पास बुला कर लाओ। मैं उन लोगों को कुछ बातें बताना चाहता हूँ ताकि सब इसे जान सकें। मैं आसमान और ज़मीन से कहूँगा कि वो इसके गवाह बनें।(28) मैं जानता हूँ कि तुम लोग मेरे मरने के बाद और भी ज़्यादा गुनाहगार बन जाओगे। तुम लोग मेरे दिए हुए हुक्म के ख़िलाफ़ हो जाओगे। आने वाले वक़्त में तुम लोगों के साथ बहुत से हादसे होंगे। तुम लोग वही काम करोगे जिसको अल्लाह ताअला ने हराम कहा है। तुम लोग बुत बनाओगे जिससे अल्लाह रब्बुल अज़ीम नाराज़ हो जाएगा।”(29)