अल्लाह रब्बुल आलमीन से मोहब्बत करो (तौरैत : इआदा 6:1-25)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

अल्लाह रब्बुल आलमीन से मोहब्बत करो

तौरैत : इआदा 6:1-25

मूसा(अ.स) ने लोगों से कहा, “अल्लाह ताअला ने मुझसे कहा है कि मैं ये क़ानून और उसूल तुम लोगों को सिखाऊँ। जब तुम उस ज़मीन पर रहने जाओ तो इस क़ानून पर अमल करना।(1) तुम और तुम्हारी औलादें और उनकी नस्लें ज़िन्दगी भर अल्लाह ताअला के अज़ाब से डरना। तुम उसके क़ानून और उसूलों पर अमल करना जो मैं तुमको बता रहा हूँ। अगर तुम ऐसा करोगे तो उस नई जगह पर एक लम्बी उम्र तक रहोगे।(2) इब्रानियों सुनो अगर तुम इस क़ानून पर अमल करोगे तो तुम्हारी ज़िन्दगी बहुत बेहतरीन हो जाएगी। तुम्हारी बहुत सी औलादें होंगी और तुम्हारी ज़मीन अच्छी चीज़ों से भर जाएगी। अल्लाह रब्बुल आलमीन, जिसकी इबादत तुम्हारे बाप-दादा भी करते थे, उसने हमसे ये वादा किया है।(3)

“सुनो, ए लोगों! अल्लाह रब्बुल आलमीन, जिस पर हम ईमान रखते हैं, वो एक ही है और दूसरा कोई नहीं है।(4) तुम अपने पूरे दिल से, अपनी रूह से और अपनी पूरी जान लगा कर अल्लाह ताअला से मोहब्बत करो।(5) तुम हमेशा इन उसूलों और क़ानून के बारे में सोचना जो मैं आज तुमको बता रहा हूँ।(6) तुम इनको अपने बच्चों को भी सिखाना और उनसे इनके बारे में बात करना, चाहे तुम घर मैं बैठे हो या घर से बाहर सड़क पर चल रहे हो। इनके बारे में हर वक़्त बात करना जब तुम सोने जाओ और उठो।(7)

“ये क़ानून एक निशानी की तरह होने चाहिए जैसे कि तुम इनको अपने हाथ में लपेटते हो या अपने माथे पर बाँधते हो,(8) जो लिखे हुए हों तुम्हारे घर की चौखट पर या तुम्हारे घर के दरवाज़े पर।(9) अल्लाह ताअला ने तुम्हारे बुज़ुर्गों से इब्राहीम(अ.स), इस्हाक़(अ.स) और याक़ूब(अ.स) से, ख़ास वादा किया था कि वो तुम लोगों को ये ज़मीन देगा। जिस ज़मीन पर आलीशान शहर हैं जिनको तुमने नहीं बनाया है।(10) वहाँ पर अच्छी चीज़ों के गोदाम हैं जो तुमने नहीं ख़रीदे हैं। वहाँ पर कुएं हैं जो तुमने नहीं खोदे हैं। वहाँ पर अंगूर और ज़ैतून के बाग़ जो तुमने नहीं उगाए हैं। तो तुम तब तक खाओ जब तक तुम्हारे पेट भर नहीं जाते।(11)

“लेकिन ख़बरदार! तुम अल्लाह ताअला को भूल मत जाना, जिस ने तुमको मिस्र की ग़ुलामी से आज़ाद कराया है।(12) तुम अल्लाह ताअला की ही इज़्ज़त और ख़िदमत करना। तुम उसी के नाम से वादा करना।(13) तुम लोगों की तरह किसी और चीज़ पर ईमान मत रखना।(14) अल्लाह ताअला हमेशा तुम्हारे साथ है, और तुमसे पूरी वफ़ादारी चाहता है। तो अगर तुम किसी और चीज़ की इबादत में लग जाओगे, तो वो तुमसे नाराज़ हो जाएगा और तुम्हारा नाम-ओ-निशाँन इस ज़मीन से मिटा देगा।(15)

“तुम लोग अल्लाह ताअला को फिर से परखने की कोशिश मत करना जैसे तुमने पहले किया है।(16) तुम इस बात का ख़्याल रखना कि तुम अल्लाह ताअला का कहना मानना और उसके बताए हुए क़ानून और बातों पर अमल करना।(17) तुम लोग वही काम करना जो अल्लाह ताअला की नज़र में ठीक है, तभी तुम्हारी ज़िन्दगी में हर चीज़ ठीक से होगी। तभी तुम लोग उस अच्छी ज़मीन पर जा पाओगे और उसके मालिक बन सकोगे, जिस ज़मीन का वादा उसने तुम्हारे बुज़ुर्गों से किया है।(18) जैसा कि अल्लाह ताअला ने तुमसे कहा है कि तुम्हारे दुश्मन वहाँ से भगा दिए जाएंगे।(19)

“आने वाले वक़्त में तुम्हारे बच्चे तुमसे पूछेंगे, ‘अल्लाह ताअला के बताए हुए उसूल, क़ानून, और तालीम का क्या मतलब है?’(20) तुम उनको ये जवाब देना: ‘हम मिस्र में उसके बादशाह के ग़ुलाम थे और अल्लाह ताअला ने अपनी अज़ीम ताक़त से हमें उसकी ग़ुलामी से आज़ाद कराया था।(21) अल्लाह ताअला ने हमारी आँखों के सामने अपनी अज़ीम निशानियाँ और करिश्मे दिखाए। अल्लाह रब्बुल आलमीन ने ये अज़ीम और ख़तरनाक निशानियाँ मिस्रियों, उनके बादशाह फ़िरौन, और उनके घर वालों को डराने के लिए दिखाई थी।(22) लेकिन अल्लाह ताअला ने हमको मिस्र से आज़ाद कराया ताकि वो हमें वादा करी हुई अच्छी ज़मीन दे सके।(23) अल्लाह ताअला ने हमें हुक्म दिया है कि हम उसकी दी हुई तालीम पर अमल करें और हमेशा उसके अज़ाब से डरें। जब तक हम कहना मानेंगे तब तक हम ज़िंदा रहेंगे और फलेंगे फूलेंगे, जैसे कि आज हम हैं।(24) अगर हम अल्लाह ताअला की बातें और क़ानून पर अमल करेंगे तो अल्लाह रब्बुल अज़ीम हमको नेक बना देगा।’”(25)