सच्ची ख़ुशी (ज़बूर 1)

बिस्मिल्लाह-हिर-रहमानिर-रहीम

सच्ची ख़ुशी

ज़बूर 1

वो लोग ख़ुश हैं

जो गुनाहगार लोगों की सलाह को ठुकरा देते हैं,

जो गुनाहगारों की राह पर नहीं चलते,

या उन लोगों को नहीं अपनाते जो अल्लाह ताअला को नहीं मानते।(1)

बल्कि वो लोग अल्लाह ताअला के क़ानून पर अमल करने में ख़ुशी महसूस करते हैं।

और दिन रात उसी का ज़िक्र करते हैं।(2)

वो उस पेड़ की तरह हैं जो एक नदी के किनारे उगा हुआ हो,

जो बिलकुल सही वक़्त पर फल देता है,

और जिसकी पत्तियाँ सूखती नहीं।

वो लोग जो भी काम करते हैं उसमें उन्हें कामयाबी हासिल होती है।(3)

लेकिन गुनाहगार लोग ऐसे बिलकुल नहीं होते;

वो उन सूखे तिनकों की तरह होते हैं कि जिनको हवा उड़ा ले जाती है।(4)

अल्लाह ताअला गुनाहगारों को सज़ा देगा,

और उनको अपने नेक बन्दों से अलग रखेगा।(5)

नेक लोगों को ही अल्लाह ताअला की हिदायत मिलेगी और वो महफ़ूज़ रहेंगे,

लेकिन गुनाहगार लोग तबाही के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।(6)