ख़ुशमदीद

أعوذُ بِٱللَّهِ مِنَ ٱلشَّيۡطَٰنِ ٱلرَّجِيمِ

بِسْمِ ٱللَّٰهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ

औज़ू बिलही मिनाश शैतान अर-राजीम
बिस्मिल्लाह अर-रहमान अर-रहीम

अल्लाह ने इन्सानों की हिदायत के लिये आसमानी किताबें अपने प्यारे नबियों पर नाज़िल फ़रमाई थीं। हम सब इस बात से वाक़िफ़ हैं कि क़ुरान अल्लाह की भेजी हुई आख़िरी किताब है।

इससे पहले की तीन पाक किताबों में भी क़ुरान की तरह हिदायत भेजी गयी जिसको हर इन्सान के लिये पढ़ना ज़रूरी है।

मुसलमानों के नुक़्ता नज़र से बहुत कम तौरैत, ज़बूर, और इंजील के तर्जुमे मौजूद हैं। इसलिए, इस वेबसाइट पर उन तीनो किताबों की कुछ कुछ आयतों का तर्जुमा क़ुरान की रौशनी में किया गया है।

ये अफ़्सोस की बात है की मुसलमानों ने तौरैत, ज़बूर, और इंजील को पढ़ने और सम्झाने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ ईसायों और यहूदियों के ऊपर छोड़ दी है। हमारा इन तर्जुमों को करने का ख़ास मक़्सद ये है कि आसमानी किताबों की हिदायत सब तक पहुंचाई जा सके। इंशाल्लाह हमारी कोशिश ज़रूर कामयाब होगी। आमीन।

सुलेमान(अ.स) ने अक़्लमंदी को चुना (तौरैत : 1 सलातीन 2:1-4; 3:1b-28)
ईसा(अ.स) के बारे में अल्लाह ताअला का पैग़ाम (तौरैत : यशायाह 42:1-9)
मेरा नेक ख़ादिम (तौरैत : यशायाह 53:1-12)
क्या तुम्हारा रोज़ा क़ुबूल हुआ? (तौरैत : यशायाह 58:1-14)
कलाम की ताक़त (तौरैत : यशायाह 55:1-3, 6-13)
नेकी का पेड़ (तौरैत : यशायाह 61 )
तुम्हारे लिए क्या तय हुआ? (तौरैत : यरमियाह 29:11-13)
नया दिल और नई रूह (तौरैत : हिज़कीएल 36:16-38)
सच्ची ख़ुशी (ज़बूर 1)
मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23)
मैं भेड़ और तू मेरा चरवाहा (ज़बूर 23)
मेरे रब मुझे बदनामी से बचा (ज़बूर 25)
बेहतरीन ज़िंदगी का नुस्ख़ा (ज़बूर 34)
अल्लाह ताअला की पनाह (ज़बूर 91)
अल्लाह की मदद के लिए शुक्रगुज़ारी (ज़बूर 138)
हिकमत की कहावतें (ज़बूर : कहावतें 3:5-8; 1:7; 29:25; 12:15; 15:32; 18:10; 21:3; 4:23)
जनाब यूसुफ़ का ख़्वाब (इंजील : मत्ता 1:18-25)
याह्या(अ.स) की तालीम (इंजील : मत्ता 3:1-17)
शैतान और उसका लालच (इंजील : मत्ता 4:1-11)
ईसा(अ.स) के शागिर्द (इंजील : मत्ता 4:18-24)
कौन लोग मुबारक हैं? (इंजील : मत्ता 5:1-16)
अल्लाह ताअला की पसन्द (इंजील : मत्ता 5:17-48)
ख़ैरात, इबादत, और रोज़ा (इंजील : मत्ता 6:1-18)
कल की फ़िक्र मत करो (इंजील : मत्ता 6:19-34)
माँगो, तलाश करो, और दस्तक दो। (इंजील : मत्ता 7:1-14)
सुनो और अमल करो (इंजील : मत्ता 7:15-29)
शिफ़ा (इंजील : मत्ता 8:5-17)
ईसा(अ.स) के बारह शागिर्द (इंजील : मत्ता 10:1-33)
अल्लाह रब्बुल अज़ीम की सल्तनत की मिसालें (इंजील : मत्ता 13:24-52)
बरकत (इंजील : मत्ता 14:14-33)
भाई की साज़िश (इंजील : मत्ता 18:15-35 )
ईसा(अ.स) ने बताया तलाक़ क्या है? (इंजील : मत्ता 19:1-15)
अल्लाह ताअला की सल्तनत की मिसाल (इंजील : मत्ता 20:1-34)
ईसा(अ.स) इबादतगाह में आए (इंजील : मत्ता 21:12-32)
क़यामत की निशानियाँ (इंजील : मत्ता 24:1-51)
इन्साफ़ का दिन (इंजील : मत्ता 25:31-46)
ईसा(अ.स) की आख़िरी दावत (इंजील : मत्ता 26:20-46)
ज़िंदा की तलाश क़ब्र में (इंजील : मत्ता 28:1-10)
गुनाहगारों की मदद (इंजील : मत्ता 9:1-13, 35-38)
बीज बोने वाले की मिसाल (इंजील : मुहाफ़िज़ 4:2-20)
सब्स्क्रृाईब